रोमियों ३:१०-१२ कहता है, “कोई धर्मी नहीं, एक भी नहीं। कोई समझदार नहीं; कोई परमेश्वर का खोजनेवाला नहीं। सब भटक गए है, सब के सब निकम्मे बन गए है; कोई भलाई करने वाला नहीं, एक भी नहीं।” हम सब परमेश्वर के सामने देह के कारण पाप से भरे हुए है। क्या कोई व्यक्ति खुद से देह के द्वारा धर्मी बन सकते है? क्या परमेश्वर के सामने कोई देह धर्मी है? मनुष्य देह से कभी भी धर्मी नहीं बन सकता। देह यीशु मसीह के द्वारा छूटकारा पाए बिना कभी भी धर्मी नहीं बन सकती।
जिनके पाप मिटा दिए गए हैं, उनके पास अपने शरीर पर घमण्ड करने के लिए कुछ भी नहीं है। हम जिनके पाप मिटा दिए गए हैं, वे भी देह में भटग गए है और अच्छा करने की क्षमता नहीं रखते हैं। जब तब हम प्रभु की सेवा नहीं करते हैं और आत्मिक कार्य नहीं करते, तब तक हम यह नहीं कह सकते कि हम अच्छे जीवन जीते हैं। जैसे यीशु ने कहा, “क्योंकि जो शारीर से जन्मा है वह शारीर है; और जो आत्मा से जन्मा है वह आत्मा है” (यूहन्ना ३:६), शरीर केवल अपनी वासना को संतुष्ट करना चाहता है जबकि आत्मा आत्मा के द्वारा चलने की इच्छा रखती है। देह को कभी भी आत्मा में नहीं बदला जा सकता।
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