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Ch2-2. वे जो परमेश्वर के अनुग्रह को नकारते है (रोमियों २:१-१६)
आइए हम व्यवस्था के बारे में बात करे। प्रेरित पौलुस ने व्यवस्था पर आधार रखनेवाले यहूदियों को कहा, “अंत: हे दोष लगानेवाले, तू कोई...
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Ch2-3. ख़तना वही है जो हृदय का है (रोमियों २:१७-२९)
“खतना वही है जो हृदय का है।” जब हम हृदय से विश्वास करते हैं तो हम उद्धार प्राप्त करते है। हमें हृदय में उद्धार...
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Ch3-1. रोमियों अध्याय ३ का परिचय
पौलुस ने कहा कि लोगों का अविश्वास परमेश्वर की विश्वासयोग्यता को निष्प्रभावी नहीं बनाता। अध्याय २ से, प्रेरित पौलुस ने इस अध्याय में बताया...
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Ch3-2. केवल विश्वास के द्वारा पापों से उद्धार (रोमियों ३:१-३१)
प्रेरित पौलुस कहता है कि व्यवस्था की पूर्ति और परमेश्वर के अनुग्रह का छुटकारा हमें हमारे कर्मो से नहीं, लेकिन विश्वास के द्वारा दिया...
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Ch3-3. क्या आप प्रभु के लिए परमेश्वर को धन्यवाद देते है? (रोमियों ३:१०-३१)
रोमियों ३:१०-१२ कहता है, “कोई धर्मी नहीं, एक भी नहीं। कोई समझदार नहीं; कोई परमेश्वर का खोजनेवाला नहीं। सब भटक गए है, सब के...
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Ch4-1. रोमियों अध्याय ४ का परिचय
रोमियों ४:६-८ में पौलुस परमेश्वर के सामने धन्य लोगों के बारे में बात करता है। एक व्यक्ति जो वास्तव में परमेश्वर के सामने धन्य...